अध्याय - 14

नवाचार

सम्पूर्ण प्रक्रिया का पूर्ण डिजिटाईजेशन-

राज्य निर्वाचन आयोग के अधीक्षण, निदेशन एवं नियंत्रण में नगर निकायों के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन की सम्पूर्ण प्रक्रिया का शत्-प्रतिशत डिजिटाईजेशन एवं Real Time Online Monitoring किया गया। निर्वाचक सूची का निर्माण, मतदान केन्द्रों की स्थापना एवं सत्यापन, नामांकन प्रक्रिया से संबंधित कार्य, मतदान दिवस को मतदान केन्द्रों पर विधि व्यवस्था की स्थिति एवं मतदान प्रतिशत् से संबंधित प्रतिवेदन, मतगणना तथा निर्वाचन परिणाम की सम्पूर्ण प्रक्रिया को अधिक निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए शत्-प्रतिशत डिजिटाईजेशन किया गया।

निर्वाचन में विभिन्न वेब एप्लीकेशन का उपयोग-

नगर निकायों के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन आयोग की सबसे प्रमुख प्राथमिकता नागरिकों में निर्वाचन के प्रति पारदर्शिता सुनिश्चित करने की थी। अभ्यर्थियों एवं मतदाताओं के मध्य पारदर्शिता एवं निर्वाचन से जुड़े पदाधिकारियेां के बीच उत्तरदायित्व (Accountability) सुनिश्चित करने के लिए आयोग द्वारा अपनी सम्पूर्ण कार्यप्रणाली को अपने वेबसाईट के माध्यम से नागरिकों के समक्ष प्रत्यक्ष रखा। साथ ही नागरिकों एवं अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए कई प्रकार के वेब एप्लीकेशन का भी प्रयोग किया गया। ‘समाधान’ वेब एप्लीकेशन के माध्यम से कोई भी नागरिक निर्वाचन से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायत, सुझाव प्रस्तुत कर सकता था, साथ ही प्राप्त शिकायत को संबंधित पदाधिकारी द्वारा निश्चित समयावधी में निष्पादित भी किया जाना था। ‘सुविधा’ एप के माध्यम से अभ्यर्थी सभा, जूलूस, रैली, वाहन इत्यादि के संबंध में अनुमति हेतु आवेदन कर सकता था तथा संबंधित पदाधिकारी द्वारा निर्धारित समयावधि में उक्त आवेदन का निष्पादन किया जाना होता था। आयोग स्तर से इन आवेदनों की सतत् निगरानी भी रखी जाती थी। इसी तरह के अन्य वेब एप्लीकेशन जैसे- मतदाता सूची विखण्डीकरण, सेक्टर पदाधिकारी हेतु एप, पीसीसीपी हेतु एप, मतदान दल हेतु एप इत्यादि आयोग द्वारा निर्मित किए गए थे। जिनका उपयोग कर निर्वाचन को पारदर्शी एवं उत्तरदायित्वपूर्ण बनाया गया।

मतदाता सत्यापन हेतु बायोमैट्रिक एवं एफ.आर.एस. प्रणाली का उपयोग-

नगरपालिका आम निर्वाचन में बायोमैट्रिक सत्यापन से उन्नत प्रणाली FRS तकनीक का उपयोग मतदाता सत्यापन हेतु किया गया FRS(Facial Recognization System) एक AI आधारित सॉफ्टवेयर है जिसमें मतदाता के वर्तमान छायाप्रति एवं उसके मतदाता सूची में संधारित छायाप्रति से मिलान कर मतदाता का सत्यापन किया गया। उल्लेखनीय है कि AI आधारित FRS सॉफ्टवेयर समयान्तराल पर हो रहे मतदाता के चेहरे में परिवर्तन के उपरांत भी मतदाता की पहचान करने में सक्षम था। बायोमेट्रिक एवं FRS प्रणाली का प्रयोग कर मतदान केन्द्र पर छद्म वोटिंग (Bogus Voting) एवं शांतिपूर्ण मतदान केंन्द्र में गड़बड़ी (Silent Booth Rigging) को रोकने में आयोग को शत्-प्रतिशत् सफलता मिली एवं आम नागरिकों में निर्वाचन के प्रति विश्वास में बढ़ोत्तरी हुई।

उक्त कार्य को सम्पन्न कराये जाने के निमित्त विधिक प्रावधान संबंधी विवरणी निम्नवत हैं:-

बिहार पंचायत नियमवाली, 2006 के नियम 60 तथा बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली, 2007 (यथासंशोधित) के नियम 63 के अन्तर्गत क्रमशः पंचायत निर्वाचन एवं नगरपालिका निर्वाचन में पीठासीन पदाधिकारी आयोग द्वारा यथा निर्देशित अभिलेखों/ कागजातों/प्रमाण पत्रों इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के आधार पर किसी मतदाता की पहचान विनिश्चित कराये जाने का प्रावधान है।

IT Act में उद्देश्यपूर्ण Facial Recognition System का सरकारी तंत्र के द्वारा उपयोग करने पर रोक नहीं है। इस संदर्भ में अगस्त 2017 में WP (Civil) No. 494/2012 नयायमूर्ति के एस पुट्टास्वामी (सेवा निवृत्त) बनाम भारत संघ में माना गया है कि विशेष परिस्थिति में तीन परीक्षणों में सफल होने के उपरान्त ही राजकीय द्वारा कार्रवाई कर निजता के प्राकृतिक अधिकार को प्रतिबंधित किया जा सकता है। जो निम्नवत् है:-

1. अधिनियम की अधिमान्यता (Exitence Fo lew)

2. राज्य के कानूनी उद्देश्य (Must Serve a Legitmate State aim)

3. अनुपातिकता (Proportionality)

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उक्त सिद्धान्त का भी अनुपालन किया गया है, जो बिन्दुवार निम्नवत् है -

1. अधिनियम की अधिमान्यता (Exitence Fo lew) - बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली, 2007 (यथासंशोधित) के नियम 63 के अन्तर्गत पीठासीन पदाधिकारी आयोग द्वारा यथा निर्देशित अभिलेखों/ कागजातो/प्रमाण पत्रों/इलेक्ट्रॉनिक माध्मय के आधार पर किसी मतदाता की पहचान विनिश्चित कराये जाने का प्रावधान है।

2. राज्य के कानूनी उद्देश्य अनुपालन (Must Serve a Legitmate State aim) - संविधान के अनुच्छेद 243-ZA एवं बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धार 2 (90) सहपठित 14 के अधीन राज्य की नगरपालिकाओं का निर्वाचन राज्य निर्वाचन आयोग के अधीक्षण, निदेशन एवं नियंत्रण में स्वच्छ, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष एवं उत्तरदायित्वपूर्ण निर्वाचन कराने की दिशा में Booth Riggins तथा बोगस मतदान, मतहरण एवं “डुप्लिकेट वोटर“ को रोके जाने हेतु।

3. अनुपातिकता (Proportionality) - इसका उपयोग मात्र मतदाताओं के लिये किया जाना है, जिसमें मतदाता सत्यापन के क्रम में लिये गये निजी डाटा को CERT-IN Certification एवं ISO 27001 Standard Data Centre से संबंधित सभी मानक को पूरा करते हुये सुरक्षित रखा गया तथा अल्प समयवाधि में विलोपित कर दिया गया। इसके अतिरिक्त मतदान के पूर्व मतदाता का सत्यापन हेतु फोटो लेने के पहले मोबाईल में Consent लेना अनिवार्य है, अर्थात् फोटो लेना स्वैच्छिक है।

बज्रगृह में डिजिटल लॉक का उपयोग-

नगर निकायों के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन में मतदान के उपरांत अभ्यर्थियों के मध्य ई.वी.एम. को बज्रगृह में सुरक्षित रखे जाने के प्रति विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए बज्रगृह को डिजिटल लॉक से सुरक्षित किया गया, जिसमें बज्रगृह के खोलने एवं बंद किए जाने की सूचना प्रशासनिक तंत्र के साथ-साथ सभी संबंधित अभ्यर्थियों को उनके मोबाईल पर SMS Alert के माध्यम से प्राप्त किया गया। इस प्रणाली के उपयोग से सभी Stakeholders यथा अभ्यर्थी, अभिकत्र्ता के बीच निर्वाचन तंत्र में अतिरिक्त पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता बहाल हुई।

मतगणना में ओ.सी.आर. पद्धति का अनुप्रयोग-

मतगणना प्रणाली में मतों की गणना को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए मतगणना में AI (Artificial Inteligence) आधारित सॉफ्टवेयर OCR तकनीक का उपयोग किया गया, जिसमें Control Unit के Display पैनल पर प्रदर्शित अभ्यर्थीवार प्राप्त मतों को सीधे बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के निर्धारित प्रपत्र में संकलित किया गया, जिससे निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के मध्य मतगणना प्रक्रिया की निष्पक्षता के प्रति विश्वास उत्पन्न हुआ। इसके प्रयोग से मतगणना से संबंधित आँकड़ों का संकलन एवं पुनर्सत्यापन करने में निर्वाची पदाधिकारी एवं उनसे संबंधित पदाधिकारियों को भी काफी सहूलियत हुई। पंचायत निर्वाचन में मतगणना की सफलता को देखते हुए आयोग द्वारा नगरपालिका निर्वाचन में भी मतगणना हेतु ओ.सी.आर. तकनीक को अपनाया गया और ओ.सी.आर. तकनीक के माध्यम से एक तरफ जहाँ बिना मानवीय हस्तक्षेप के मतों की गणना निर्धारित प्रपत्रों में हो सकी वही दूसरी तरफ ईवीएम में रिकॉर्ड मतों की विडियोग्राफी कर उसे राज्य केState Data Center पर Cloud Storage में सुरक्षित संधारित भी किया गया, जिसे आवश्यकता के अनुरूप विहित प्राधिकार के आदेश से कभी भी देखा जा सकता है।

मतदाताओं के बीच निर्वाचन के प्रति जागरूकता का अनुप्रयोग-

नगर निकायों के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन कराने हेतु आयोग स्तर पर किस तरह का प्रयास किया जा रहा है तथा इसमें आम नागरिकों की यथा जिम्मेदारी है, इन सब बातों को नागरिकों को भी जानना आवश्यक था। इसके लिए आयोग स्तर पर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया गया। सोशल मिडिया माध्यमों यथा- फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, यू-ट्यूब का उपयोग कर लोगों को जागरूक किया गया तथा सभी तकनीकी नवाचारों के संबंध विस्तृत रूप से बताया गया। इसके अतिरिक्त नियमित प्रेस विज्ञप्ति, प्रेस कांफ्रेंस तथा समाचार पत्रों के माध्यम से भी आम नागरिकों को भी आयोग के प्रयासों के संबंध में सतत् अद्यतन किया गया। इसके साथ ही साथ प्रसिद्ध व्यक्ति (Celebrity) एवं गायिका द्वारा दिये गये संदेश के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया गया। प्रोमो साँग तथा विविध प्रकार के Short Video के माध्यम से भी लोगो को जागरूक किया गया।

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